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Sunday, August 18, 2019

जम्मू कश्मीर में इसलिए मची है खलबली यहाँ जाने पूरा मामला

बीजेपी के राजनितिक अजेंडे में धारा 370 शामिल है। पार्टी इसे हटाने के मुंड में है ऐसे में सरकार को इसपर निर्णायक फैसला लेने के लिए संसद से मंजूरी लेनी होगी हालाँकि बीजेपी के लिए ये राह आसन नहीं होगा क्योकी जेडीयू और अकाली दल इसके विरोध में है।




नई दिल्ली। आतंकी हमलो की आशंका के म्चेंजर शुक्रवार को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सुरक्षा एद्वैजरी जारी की इसके साथ ही अमरनाथ यात्रा को रोक दिया गया और सभी पर्यटकों और को जल्द से घाटी छोड़ने को कहा गया।

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सुरक्षा से जुड़े बदले हालात को देखते हुए राज्य की प्रमुख पार्टियों ने आपात बैठक गई राज्य की पार्टियों को आदेशा है।
की केंद्र सरकार कुछ बड़ा फैसला ले सकती है जिसके तहत आपात बैठक बुलाई गई इन सबको बीच एक बड़ा सवाल ये उभरकर सामने आया की घाटी को बाहरी ताकतों से खतरा है या मामलो कुछ अंदरूनी है।

अभी नहीं तो कभी नहीं


मालूम हो जम्मू कश्मीर हमेशा से ही विवादों में घिरा रहा है ।इसपर न सिर्फ पाकिस्तान अपना हक जताता है बल्कि इंडिया में भी इसको लेकर सभी राजनितिक पार्टियों की अलग अलग सोच है ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार को लगता है की 35 ए को जम्मू कश्मीर से हटा देना चाहिए जबकि बाकि पार्टिया कहती है की धारा 35 ए और धारा 370 हटना नहीं चाहिए वैसे मोदी सरकार का मानना है की यही सही मौका है धारा 35 ए हटवाने का यही वजह है की सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कह सकती है की उसे इस धारा को हटाने से अपन्ती नहीं है।

क्या कहता है संबिधान का 35 ए अनुछेद


भारतीय संबिधान का 35 ए अनुछेद एक अनुछेद है जो जम्मू कश्मीर राज्य विधानमंडल को स्थायी निवासी परिभाषित करने तथा उन नागरिको को विशेषाधिकार प्रदान करने का अधिकार देता है। यह भरतीय संबिधान में जम्मू और कश्मीर सरकार की सहमती से राष्ट्रपति के आदेश पर जोड़ा गया, जो की भारत के  राष्ट्रपति द्वारा 14 मई 1954 को जरी किया गया था यह अनुछेद 370 के खण्ड (1 ) में उल्लेखित है।

अनुच्छेद 370 क्या कहते है 


भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक ऐसा लेख है। जो जम्मू और कश्मीर राज्य का दर्जा देता है संविधान में भाग में लेख का मसौदा तैयार किया गया है अस्थाई संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान।

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जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा की इसकी स्थापना के बाद  भारतीय संविधान के उन लेखों की सिफारिश करने का अधिकार दिया गया था जिन्हें राज्य में लागू किया जाना चाहिए या अनुच्छेद 370 को पूरी तरह से निरस्त करना चाहिए।

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बाद में जम्मू कश्मीर संविधान सभा के राज्य के संविधान का निर्माण किया और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की सिफरिश किया बिना खुद को भंग कर दिया इस लेख को भारतीय संविधान की एक स्थाई विशेषता माना गया।

बीजेपी को तीन तलाक से मिली हिम्मत 

तीन तलाक कानून देश में पिछले साल से ही लागू हो चुका है। इस बिल के राज्यसभा में पास होने के बाद बीजेपी को लगता है कि अब वह विपक्ष को उच्च सदन में भी मात दे सकती है। दरअसल बीजेपी के राजनीतिक अजेडे में धारा 370 समिल है। पार्टी इस हटाने के मूड में है ऐसे में सरकार को इसपर निर्रायक फैसला लेने के लिए संसद में मंजूरी लेनी होगी। हालांकि बीजेपी के लिए ये राह आसान नहीं होगी।

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